Thursday, December 29, 2011

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"खूबसूरती..जो अंतर्मन से निकल..आँखों के दायरे में समा गयी..
ऐसे चमकी नक्काशी..फ़लक से ज़मीं उल्फत की चादर रमा गयी..!!"

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